- मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल ने 11 दिसंबर, 2019 को लोकसभा में केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय बिल, 2019 पेश किया। वर्तमान में संस्कृत के तीन मानद विश्वविद्यालय हैं: (i) राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान, नई दिल्ली, (ii) श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ, नई दिल्ली, और (iii) राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ, तिरुपति। बिल इन्हें केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालयों में बदलने का प्रयास करता है।
- विश्वविद्यालयों की स्थापना: बिल इन तीनों मानद विश्वविद्यालयों को केंद्रीय विश्वविद्यालयों में बदलने का प्रयास करता है। विश्वविद्यालय (i) संस्कृत को बढ़ावा देने के लिए उसका प्रसार और ज्ञान की वृद्धि करेंगे, (ii) ह्यूमैनिटीज़, सोशल साइंसेज़ और साइंसेज़ में एकीकृत कोर्सेज़ के लिए विशेष प्रावधान करेंगे, और (iii) संस्कृत और संबद्ध विषयों के समग्र विकास और संरक्षण के लिए मैनपावर को प्रशिक्षित करेंगे।
- विश्वविद्यालय के कार्य: विश्वविद्यालय की मुख्य शक्तियों और कार्यों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) अध्ययन के लिए पाठ्यक्रम निर्दिष्ट करना और प्रशिक्षण कार्यक्रम संचालित करना, (ii) डिग्री, डिप्लोमा और सर्टिफिकेट्स देना, (iii) दूरस्थ शिक्षा प्रणाली के जरिए सुविधाएं प्रदान करना, (iv) कॉलेज या संस्थान को स्वायत्त दर्जा देना, और (v) संस्कृत और संबद्ध विषयों में शिक्षा के लिए निर्देश देना।
- अथॉरिटीज़: प्रत्येक विश्वविद्यालय में निम्नलिखित अथॉरिटीज़ होंगी: (i) कोर्ट, जोकि विश्वविद्यालय की नीतियों की समीक्षा करेगा और उसके विकास के लिए उपाय सुझाएगा, (ii) एग्जीक्यूटिव काउंसिल, जोकि मुख्य एग्जीक्यूटिव काउंसिल होगी, (iii) एकैडमिक और एक्टिविटी काउंसिल जोकि शैक्षणिक नीतियों की निगरानी करेगी, (iv) बोर्ड ऑफ स्टडीज़, जोकि शोध के विषयों को मंजूर करेगी और शिक्षा के मानदंडों में सुधार के लिए उपाय सुझाएगी, (v) फाइनांस कमिटी, जोकि विश्वविद्यालय में पदों के सृजन से संबंधित प्रस्तावों की जांच करेगी और व्यय की सीमा पर सुझाव देगी, और (vi) प्लानिंग और मॉनिटरिंग बोर्ड जोकि विश्वविद्यालय की प्लानिंग और विकास के लिए जिम्मेदार होगा। एग्जीक्यूटिव काउंसिल विधानों के जरिए अतिरिक्त अथॉरिटीज़ की घोषणा कर सकती है।
- एग्जीक्यूटिव काउंसिल: एग्जीक्यूटिव काउंसिल विश्वविद्यालय के प्रशासनिक मामलों के लिए जिम्मेदार होगी। काउंसिल में 15 सदस्य होंगे। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) वाइस चांसलर (केंद्र द्वारा नियुक्त), (ii) ज्वाइंट सेक्रेटरी, मानव संसाधन विकास मंत्रालय, और (iii) संस्कृत क्षेत्र और संबद्ध विषयों के दो प्रतिष्ठित शिक्षाविद। वाइस चांसलर काउंसिल के चेयरपर्सन होंगे।
- काउंसिल के मुख्य कार्यों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) टीचिंग और एकैडमिक पदों का सृजन और उनकी नियुक्ति, (ii) विश्वविद्यालय के राजस्व और संपत्ति को प्रबंधित करना, (iii) विश्वविद्यालय के वित्त को प्रबंधित और रेगुलेट करना, और (iv) ज्ञान के विकास के लिए उद्योग और गैर सरकारी एजेंसियों से सहयोग करना।
- विश्वविद्यालय के विजिटर: भारत के राष्ट्रपति विश्वविद्यालय के विजिटर होंगे। वे विश्वविद्यालय के कामकाज की समीक्षा और निरीक्षण के लिए व्यक्तियों को नियुक्त कर सकते हैं। एग्जीक्यूटिव काउंसिल निरीक्षण के निष्कर्षों के आधार पर कार्रवाई कर सकती है। अगर एक उचित समयावधि में कोई कार्रवाई नहीं की जाती तो विजिटल काउंसिल को बाध्यकारी निर्देश दे सकता है। इसके अतिरिक्त विजिटर विश्वविद्यालय की किसी भी कार्यवाही को रद्द कर सकता है जोकि बिल के अनुरूप न हो।
- विधान: बिल के शेड्यूल में कई विधान हैं। ये विधान विभिन्न अथॉरिटीज़ जैसे चांसलर, वाइस चांसलर और डीन ऑफ स्कूल्स की स्थापना, संयोजन और शक्तियों को निर्दिष्ट करते हैं। एग्जीक्यूटिव काउंसिल विधानों को जोड़, संशोधित और रद्द कर सकती है। ऐसी किसी भी कार्रवाई को विजिटर द्वारा मंजूर किया जाना चाहिए।
- विवाद और अपील: अगर किसी विद्यार्थी या कैंडिडेट का नाम विश्वविद्यालय के रोल्स से हटा दिया जाता है और उसे परीक्षा में बैठने से रोका जाता है तो वह इस फैसले के संबंध में एग्जीक्यूटिव काउंसिल से अपील कर सकता है। किसी विद्यार्थी के खिलाफ विश्वविद्यालय की अनुशासनात्मक कार्रवाई से उत्पन्न होने वाले विवाद को विद्यार्थी के आग्रह पर ट्रिब्यूनल ऑफ आर्बिट्रेशन को रेफर किया जा सकता है। किसी कर्मचारी और विश्वविद्यालय के बीच के अनुबंध से संबंधित विवाद को भी ट्रिब्यूनल को रेफर किया जा सकता है। ट्रिब्यूनल में निम्नलिखित शमिल होंगे: (i) एग्जीक्यूटिव काउंसिल द्वारा नियुक्त एक सदस्य, (ii) कर्मचारी या संबंधित विद्यार्थी द्वारा नामित एक सदस्य और (iii) विजिटर द्वारा नियुक्त एक अंपायर।
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